नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।। भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के॥ प्रगट उदधि मंथन https://shiv-chalisa-lyrics-pdf90156.fare-blog.com/29876210/not-known-details-about-shiv-chalisa-lyrics-in-english-with-meaning